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Monday 6 February 2023

बसंत के फूलों के खेत में | PRAKASH SAH

www.prkshsah2011.blogspot.in

 

पिछले   साल   गाँव   के   हमारे   सारे   खेत    विरान    थें,

कुछ मधुएँ मेरी नानी के घर  से  मेरी माँ  को  बताने आयी थीं।


याद है मुझे वो शादी वाला साल, जब पीले फूलों की खुश्बू थी,

आने वाले  हर ऋतुओं  में,  तुम मुझसे  धीरे-धीरे  दूर हुयी थी।


 मधुओं  ने  देखा है,  हमारे बीच  बदलते  मौसम वाले रिश्तें हैं,

 इसलिए  शीतलहरी  में  भी मधुओं  ने  सरसो के  बीजें बोई हैं।


और जब तुम  कभी आओगी मिलने,  बसंत के फूलों के खेत में,

मधुएँ आएँगी हमारे बीच सारी कड़वाहटों को दूर करने के लिए।


ता-उम्र बिगड़ते रिश्तें सुधारेंगी मधुएँ,

जब-जब उन्हें बसंत के  फूल मिलेंगे।

बस हर बार तुम याद  से  देख लेना,

हमारे खेत बसंत  में  विरान ना मिलें।

-प्रकाश साह

21012023



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🙏🙏 धन्यवाद!! 🙏🙏

Photo Credit : PRAKASH SAH

Friday 13 January 2023

जब दिवानों के शहर में नया साल आता है | PRAKASH SAH

 

www.prkshsah2011.blogspot.in


किसी को दिल लगाकर दिल तोड़ने में क्या मज़ा आता है?

कोई  ज़माने  तक दिल लगाए  रखे  तो  अच्छा  लगता है।


दिलचस्पी  नहीं  मुझे, सजे हुए शहर को देखने में,

कोई दिवाना मिले तो मज़ा आता है हाल पूछने में।


जब    दिवानों    के   शहर    में    नया   साल    आता   है,

बीते साल को याद करके दिवाना फिर भी दिवाना रहता है।


सुर्ख फूलों  की  हवाओं  से  नज़राने  में जब  मोहब्बत  मिले,

दिवानों  के मन  को पंख लगाने से  कोई  रोक  नहीं पाता है।


ज़िंदगी  की कश्ती समंदर छोड़  जब आसमानों में दिखता है,

सच  में  दिवानों  के शहर में  दिवाना  होने  का मन करता है।


जब दिवानों के शहर में नया साल आता है,

सारे गमों  को भूलकर शहर झूम उठता  है।

 -प्रकाश साह 

11012023



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P. Editing : PRAKASH SAH

Saturday 12 November 2022

लताओं के हार जाने से | PRAKASH SAH


www.prkshsah2011.blogspot.in

 

बेकरार है कोई हमसे

मोहब्बत करने को इस तरह से।

जैसे कुछ लताएँ

चढती हैं दीवार पे जिस तरह से।


हाँ, हम भी

कभी-कभी दिल हार जाते है उन पे।

जैसे मोहब्बत-ए-इम्तेहाँ में

दीवार को ले लेती हैं लताएँ आगोश में।


रुख़सत-ए-मौसम आने से

सिर्फ एक ही दिल को तकलीफ होता नहीं,

जैसे कईयों का बसेरा उजड़ जाता है दिवार से,

लताओं के हार जाने से। 

लताओं के हार जाने से...

-प्रकाश साह

29092022





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BG P.C. : PRAKASH SAH

P. Editing : PRAKASH SAH